एलर्जी वाली खांसी बढ़ा रहा है वायु प्रदूषण

एलर्जी वाली खांसी बढ़ा रहा है वायु प्रदूषण
सेहतराग टीम
भारत के शहरों में रह रहे लोग रोजाना जो प्रदूषित हवा फेफड़ों में भरते हैं वो किसी पक्‍के धूम्रपान करने वाले जितना ही नुकसानदेह होता है। ये हम नहीं कह रहे बल्कि भारत के स्‍टेट लेवल ड‍िजीज बर्डन इनिशिएटिव की एक हालिया रिपोर्ट ने ये दावा किया है। यही रिपोर्ट कुछ हद तक हमें ये बताती है कि आखिर क्‍यों शहरी भारत में कई लोगों को लगातार सूखी खांसी होती है फ‍िर भले ही उन्हें अस्थमा न हो या उन्होंने कभी धूम्रपान न किया हो।
सर्दी के महीनों में एलर्जी से होने वाली खांसी बढ़ जाती है क्‍योंकि तापमान में गिरावट होने से वायु प्रदूषक तत्‍व और और एलर्जी बढ़ाने वाले एजेंट उड़ नहीं पाते और ये जमीन से थोड़ा ऊपर अटके रहते हैं जिससे अस्थमा, एलर्जी राइनाइटिस और अन्य एलर्जी विकार तेज गति से बढ़ते हैं। तापमान और ठंड में अचानक परिवर्तन, शुष्क हवा हमारे शरीर के सांस की नली संकुचित कर देती है जिससे कष्टप्रद खांसी बढ़ जाती है और सांस लेने में बाधा आदि है और अस्‍थमा जैसी समस्‍या बढ़ जाती है।

 
क्‍या कहते हैं विशेषज्ञ

हार्ट केयर फाउंडेशन ऑफ इंडिया के अध्‍यक्ष पद्मश्री डॉ. के.के. अग्रवाल के अनुसार, ‘दिल्ली जैसे शहरों में शहरी आबादी का अधिकांश हिस्सा जिस एलर्जी की खांसी से जूझ रहा है उसके पीछे ओजोन और नाइट्रोजन डाइऑक्साइड जैसे वायु प्रदूषक मुख्‍य कारक हैं। अन्य कारकों में सड़क और निर्माण कार्य से उठने वाली धूल, फूलों के पराग, धुआं, नमी, चॉक पाउडर और तापमान में अचानक होने वाला बदलाव शामिल हैं। गले में सूखापन और खुजली कुछ सप्ताह से लेकर महीनों तक रह सकती है और इनकी तीव्रता अलग-अलग हो सकती है। नाक बहना, छींक, आंख से पानी आना और आंख खुजलाना, आंखों के नीचे काले घेरे आदि एलर्जी के अन्‍य प्रकारों में शामिल हैं। ये काले घेरे, जिन्हें एलर्जिक के संकेतक कहा जाता है, नासिकाओं में सूजे हुए ऊतकों के कारण आंखों के नीचे रक्त के जमाव के कारण बन जाते हैं हैं। एलर्जी की खांसी आमतौर पर रात में तीव्र हो जाती है।’

वायरल और बैक्टीरियल दोनों तरह के संक्रमण, कुछ खास स्वास्थ्य स्थितियों जैसे कि फेफड़े या गुर्दे की बीमारी, हृदय रोग, अवरोधी फेफड़े की पुरानी समस्‍या या अस्थमा आदि वाले मरीजों में जटिलताएं पैदा कर सकते हैं। इसलिए यदि तेज बुखार दो दिन से अधिक समय तक रहता है तो डॉक्टर के पास जाना चाहिए।

डॉ. अग्रवाल ने कहा कि कई वायरस के कारण होने वाली इस समस्‍या का कोई ज्ञात उपचार नहीं है। डॉक्टर आपकी स्थिति की निगरानी करते हुए आपके लक्षणों का प्रबंधन करने के लिए दवाएं लिख सकता है। यदि आपके डॉक्टर को किसी बैक्‍टीरिया वाले संक्रमण का संदेह हो तो वो एंटीबायोटिक्स लिख सकता है। एमएमआर और पर्टुसिस वैक्सीन लगवाने से सांस के संक्रमण का खतरा बहुत हद तक कम हो सकता है।

 

कुछ सुझाव

• अपने हाथों को बार-बार धोएं, विशेष रूप से सार्वजनिक स्थान पर हाथ रखने के बाद

• प्रयास करें कि हमेशा छींकते समय अपनी शर्ट की बांह या रुमाल या टिशु पेपर इस्‍तेमाल कर पाएं। यह आपके रोक के लक्षणों को कम नहीं करेगा मगर बीमारी को दूसरों तक फैलने से रोक सकता है

• अपने हाथों से अपनी आंखों और मुंह को छूने से बचें ताकि संक्रमण आपके शरीर तक न पहुंचे

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